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Friday, August 31, 2012

मैनेजमेंट गुरू स्टीफन कोवे के सिद्धांत

मैनेजमेंट गुरू स्टीफन कोवे के सिद्धांत

एडवर्ड डे बोनो, पीटर एफ ड्रकर और फिलिप कोटलर इन सबमें कौन-सी बात समान है? ये सब ऐसे लीडर हैं, जिनके कामों ने कुछ वर्षों में दुनियाभर में बिजनेस करने के तौर-तरीकों को बदल दिया है। हाल में आयी नई किताब बिजनेस गुरु दैट चेंज्ड द वर्ल्ड में सभी बड़े मैनेजमेंट गुरुओं के सिद्धांतों को शामिल किया गया है। यहां हम इस किताब से मैनेजमेंट गुरू स्टीफन कोवे के सिद्धांतों को दे रहे हैं, जिन्हें आप नौकरी या बिजनेस दोनों जगह अमल में ला सकते हैं।
पहल करें
परिस्थितियों के शिकार न बनें। विभिन्न कार्यक्रमों और उत्पन्न स्थितियों को अपने नियंत्रण में बनाए रखने के लिए नए तरीकों को आजमाएं। अपनी क्षमताओं का विस्तार करें। आप पहल करने में आगे रहते हैं या परिस्थितियों के शिकार बनते हैं, इसकी जांच करने के लिए स्टीफन अपने वाक्यों पर ध्यान देने के लिए कहते हैं। मैं ऐसा ही हूं, मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता, उसने मुझे पागल बना रखा है, मैं भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता, मुझे यह काम करना पड़ता है, मुझे खुद से कुछ करने की स्वतंत्रता नहीं है आदि वाक्य आपको परिस्थितियों का शिकार बताते हैं। यदि आपके साथ ऐसा है तो इस पर ध्यान दें।
पहले समझों और फिर समझ विकसित करें
इस आदत पर पकड़ बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सुनें। स्टीफन कहते हैं, अपने सहयोगियों, परिवार, दोस्तों, ग्राहकों को सुनें, पर आपका उद्देश्य उनकी बात का जवाब देना, उन्हें अपनी बात से सहमत कराना या जोड़-तोड़ करना नहीं होना चाहिए। दूसरों को सुनें, क्योंकि आप जानना चाहते हैं कि दूसरे लोग स्थितियों को किस तरह देखते हैं। यहां समानुभूति का कौशल विकसित करना जरूरी है। दूसरे के स्तर पर जाकर बातों को सुनने का अर्थ यह नहीं है कि आप उनकी बातों से सहमत हैं। इसका मतलब दूसरों को बौद्धिक व भावनात्मक स्तर पर समझना है।
आपसी तालमेल
यह शब्द गलत अर्थ ग्रहण कर लेता है, जब आप इसे अधिक कीमतों पर अधिग्रहण की नीतियों के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। स्टीफन आपसी तालमेल में रचनात्मक सहयोग के सिद्धांत पर जोर देने की बात करते हैं।  उनके अनुसार विभिन्न टुकड़ों में बंटे होने से बेहतर है उसे पूर्ण रूप में हासिल करना। ऐसी नीति में व्यक्ति अपने से जुड़े हर पक्ष की उपयोगी दक्षताओं और संभावनाओं को साथ लेने और इस्तेमाल करने पर जोर देता है। इस आदत का विस्तार करने पर नतीजे 2+2 =4 न होकर पांच से अधिक मिलते हैं।
जो काम पहले करना जरूरी है, उसे पहले करें
इस आदत का विकास करने पर आप स्व-प्रबंधन सीखते हैं। जो चीज पहले की जानी है, उसे पहले करना यह खुद को व्यवस्थित करने का सही तरीका है। मुख्य चीजें क्या हैं, उनका निर्णय करना और उनका प्रबंधन करना एक तरह से अपनी योजना को क्रियान्वित करने के लिए जरूरी अनुशासन का पालन करना है। ऐसे में आप अपने कामों को चार भागों में बांट लें। महत्वपूर्ण, गैर महत्वपूर्ण, तुरंत किए जाने वाले कार्य, महत्वपूर्ण पर बाद में किए जा सकने वाले कार्य। इस तरह कामों को प्रभावी ढंग से कर सकेंगे।
जीत और केवल जीत
स्टीफन कहते हैं जीत और सिर्फ जीत के बारे में ही सोचें। इससे मानवीय संबंधों का आधार तय होता है। जीत-जीत के अलावा जीत-हार, हार-जीत, हार-हार की श्रेणी बनती है। वह कहते हैं, जब नजरिया जीत-जीत का होता है, तब आपका आशय होता है कि मैं जीतना चाहता हूं और मैं दूसरे पक्ष की भी जीत चाहता हूं। यदि आप दूसरे पक्ष के साथ अपनी बातचीत को इस स्थिति में नहीं बांट पाते हैं तो उसके साथ इस बात पर सहमत हो जाएं कि फिलहाल डील नहीं हो सकती। भविष्य में यदि स्थिति बनेगी तो ऐसा करेंगे। जीत-जीत वाली श्रेणी में सभी के लिए फायदे की संभावनाएं निहित होती हैं। सफलता सामूहिक सोच के साथ सहज रूप से आगे बढ़ती है। इसमें डील किसी एक की जीत या हार पर आधारित नहीं होती।
आरी की धार तेज करें
स्टीफन इस आदत को एक कहानी से समझाते हैं, जिसके अनुसार भले ही आपको लकड़ी काटने का काम करते हुए वर्षो हो गए हों, पर यदि आप बीच-बीच में ब्रेक लेकर आरी की धार को तेज नहीं करते तो वही काम करने में आपको अधिक समय लगेगा। कहने का आशय है कि आप खुद को आरी मानते हुए बीच-बीच में ब्रेक लेकर खुद को विकसित करने पर ध्यान दें। अपने काम करने के तरीकों में नयापन विकसित करें।
शुरुआत अंतिम परिणाम को सोचते हुए करें
यहां स्टीफन निजी स्तर पर खुद को तैयार करने और अपनी निजी योजनाओं को विकसित करने पर जोर देते हैं। इसे वह पर्सनल लीडरशिप का नाम देते हैं, जिससे व्यक्ति परिस्थितियों का शिकार न बन कर खुद को सही दिशा की ओर बढ़ाने के लिए तत्पर रहता है। इस आदत का विकास करने पर व्यक्ति अपनी समस्त ऊर्जा को अपने अंतिम लक्ष्यों की ओर ले जाने वाली गतिविधियों पर लगा पाता है। आप विभिन्न विकल्पों में उलझते नहीं हैं। खुद को अधिक उत्पादक और सफल बनने की प्रक्रिया की ओर ले जाते हैं।

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